Abhishek Bhaskar
1 min readMar 9, 2020

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Climate change (जलवायु परिवर्तन)

आज, ताकि अपना होवे कल

आज हवा है थोड़ी कड़वी
क्यूँ बदल रही ये मेरी गर्मी
पानी की इक आधी बूँद
क्यूँ माँगे मेरी आँखें मूँद मूँद

आज समंदर में उठता उफान
क्यूँ निरंतर आते ये तूफ़ान
ग़ायब होते जीव और जंतु
एक सोच आती है परंतु

ये लालची सा मन मेरा
क्यूँ गुमराह ये कर रहा
वो आवाज़ें, वो चीत्कार
क्यूँ अनसुना करें मेरे कान
सच और सही के आगे,
क्यूँ आ जाए मेरी आन

ये मौसम ले रही अंगड़ाई
अब मान भी ले मेरे भाई
कर सीने को मज़बूत
मत खड़ा रह बन के बुत

एक ज़ोर का वार तू कर
वक्त कहे, तू कर या फिर तू मर
रोक ले ये मौसम की अंगड़ाई
अब बात सुन भी ले मेरे भाई

जो है आने वाला कल
उसे थोड़ा तो रोशन कर
कल इतिहास जो पूछे अगर
तो बोल ज़रा सीना चौड़ा कर

उस रोज़ हवा थी कड़वी
बदल रही थी मेरी गर्मी
एक कदम जो मैंने बढ़ाया
संग प्रण मैं अपने लाया
कल तेरा बचाऊँगा मैं
हाँ, आज आगे आऊँगा मैं

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