Abhishek Bhaskar
1 min readFeb 9, 2020

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बॉलीवुड

रंगों के इस होड़ में
आवाज़ों के शोर में
पर्दे पर जब तुम आते हो
चकित मौन कर जाते हो
छल कपट को देकर मात
हम जीतते तुम्हारे साथ

और रंग कुछ ऐसे आए
मधुर गीत संग तुमको लाए
कथा, कहानी के कोलाहल में
प्यार सुकून सब तुम बरसाए

एक अनोखा रंग वो आया
हंसी फुहारे भर भर के लाया
काला कहें रंग है उसका
कर दे सब को हक्का बक्का
पर चल पाए ना उसका सिक्का
सामने जब आए किस्से का इक्का

पर्दे का यह चकाचौंध और
अंधकार जब छटता है
सपनों की इस महानगरी में
सामना सच का पड़ता है
रंग कुछ फीके पर जाते हैं
कर्कश मधुर धुन फिर लगती है

नज़र तभी फिर पड़ जाए एक
और बड़ी रंगीन सी होर्डिंग पर
कुछ धुंधले से रंग अब
थोड़े पक्के होने लगते हैं
कानों में फिर वो एक नयी धुन
हल्के हल्के सजती है
इक्का, सिक्का तरह तरह के
नए खेल फिर रचने लगते हैं
सपनों की इस महानगरी में
कई ख़्वाब हम फ़िर से बुनने लगते हैं

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